कड़क आवाज में मिस मेकेंजी ने उत्तर दिया, “गुड मॉर्निंग, क्या आपको मेरी क्यारी से उठने में आपत्ति है ?''
संकोच से उस बालक ने नॉस्टर्शियम के ऊपर चलते-चलते, गालों में गड्ढा दिखाते हुए मिस मेकेंजी की ओर देखा। उससे गुस्सा रहना असंभव था।
मिस मेकेंजी ने कहा, “आप अनधिकार प्रवेश कर रहे हैं ।''
“हाँ, मिस!
“और आप जानते हैं कि इस समय आपको स्कूल में होना चाहिए।''
“हाँ, मिस”!
“तो आप यहाँ क्या कर रहे हैं ?''
“में फूल तोड़ रहा था, मिस!” और उसने पत्तों एवं फूलों का एक गुच्छा उठा लिया।
“अरे!'' मिस मेकेंजी निरस्त्र हो गईं। काफी अरसा हो चुका था, जब उन्होंने किसी लड़के को फूलों की ओर आकर्षित होते देखा था और उन्हें एकत्र करने के लिए स्कूल से गायब होते देखा था।
“क्या तुम्हें फूल पसंद हैं ?' उन्होंने
पूछा।
“जी हाँ, मिस! मैं एक बोतांटिस्ट बनूँगा।“
“तुम्हारा मतलब है बोटानिस्ट ।”
“जी हाँ, मिस!“
-“इसी पुस्तक से
सुप्रसिद्ध किस्सागो रस्किन बॉण्ड की कहानियों का यह संग्रह बालक-तरुण पाठकों को परियों की हसीन दुनिया की सैर कराता है; ये भी परियों के साथ बिना परों के ही उड़ने लगते हैं । मनोरंजन से भरपूर कहानी-संग्रह |