Kabra Par Khile Do Phool: Bestseller Book by Aabid Surti: Kabra Par Khile Do Phool

· Prabhat Prakashan
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कब्र पर खिले दो फूल

बुढ़िया मुसकराई। पर यह मुसकराहट वह नहीं थी। वह खड़ा हुआ। सामने का चेहरा भी वह नहीं था। वह समझ गया। अपने जज्बातों के साथ वह खुद बह गया था।

“आज जुमेरात है, है न?”

बुढ़िया के हाथ से फूलों की पुड़िया लेते हुए उसने कहा।

“हम इसी रोज अपना वादा निभाने आते हैं।”

“मुझे आप पर नाज है।”

“कैसे?”

छड़ी के सहारे दोनों साथ-साथ कब्रों की दिशा में आगे बढ़ रहे थे।

“लोगबाग तो जिंदगी में भी वादा वफा नहीं करते।” बूढ़े ने बताया, “और एक आप हैं कि...”

“वह देखिए!” छड़ी से इशारा करते हुए बुढ़िया बीच में बोल उठी।

“क्या है?”

“हमारे मरहूम की कब्र पर खिले दो फूल।”

—इसी पुस्तक से

प्रख्यात साहित्यकार, कलाकार एवं कार्टूनिस्ट आबिद सुरती की लेखनी की बात ही निराली है। उनकी रचनाएँ बच्चों से लेकर बड़ों तक में खूब प्रिय हैं। समाज में फैली कुरीतियों व भ्रांतियों को दूर कर समाज को दिशा देना उनकी लेखनी का प्रिय विषय है। यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी बहुचर्चित-बहुप्रशंसित पाँच लंबी कहानियाँ, जो पाठकों के मन को गहरे तक छू लेंगी।

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About the author

आबिद सुरती जन्म : सन् 1935, राजुला (गुजरात) में। शिक्षा : एम.एस-सी., जी.डी. आर्ट्स (ललित कला)। प्रकाशन : अब तक अस्सी पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें पचास उपन्यास, दस कहानी संकलन, सात नाटक, दस बाल पुस्तकें, एक यात्रा-वृत्तांत, एक गजल संकलन, एक संस्मरण व कॉमिक्स। पैंतालीस साल से गुजराती तथा हिंदी की विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में लेखन। उपन्यासों का कन्नड़, मराठी, मलयाळम, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद। ‘ढब्बूजी’ व्यंग्य चित्रकथा तीस साल तक निरंतर साप्‍ताहिक ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित। दूरदर्शन, जी तथा अन्य चैनलों के लिए कथा, पटकथा, संवाद लेखन। अब तक देश-विदेशों में सोलह चित्र-प्रदर्शनियाँ आयोजित। फिल्म लेखक संघ, प्रेस क्लब (मुंबई), एसोसिएशन ऑफ राइटर्स ऐंड इलस्ट्रेटर्स (दिल्ली), फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (मुंबई) के सदस्य। पुरस्कार-सम्मान : कहानी संकलन ‘तीसरी आँख’ को राष्‍ट्रीय पुरस्कार।

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