शेष प्रश्न शरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित एक गूढ़ और चिंतनपूर्ण उपन्यास है जो उनके अंतिम काल का उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान माना जाता है। यह उपन्यास भारतीय समाज में नारी की स्वतंत्रता, पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक सोच के बीच के संघर्ष को अत्यंत भावनात्मक और दार्शनिक स्तर पर प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास की मुख्य पात्र कमल, एक स्वाभिमानी, शिक्षित और स्वतंत्र विचारों वाली महिला है, जो विवाह, प्रेम, सामाजिक बंधनों और आत्मनिर्भरता जैसे विषयों पर प्रचलित मान्यताओं को चुनौती देती है। कमल का चरित्र स्त्री चेतना और बौद्धिक स्वतंत्रता का प्रतीक बनकर उभरता है। वह पुरुष-प्रधान समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध अपनी सोच और जीवनशैली से एक नया दृष्टिकोण सामने रखती है। कमल का संवाद और उसके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे, जब यह उपन्यास लिखा गया था। यह उपन्यास केवल स्त्री मुक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि समाज, नैतिकता, धर्म, और अस्तित्व से जुड़े 'शेष प्रश्नों' की गूढ़ पड़ताल है। शरत चंद्र की लेखनी इस उपन्यास में अपने चरम पर है — भाषा गंभीर, पात्र जीवंत, और संवाद मन को झकझोरने वाले। यह कृति न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि विचारात्मक और दार्शनिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है।