वैशाली की नगरवधू हिंदी साहित्य की एक अद्भुत ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसे आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने लिखा है। यह उपन्यास प्राचीन भारत के वैशाली नगर के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है। कहानी नगरवधू (नगर की वेश्या) की व्यक्तिगत जीवन यात्रा के माध्यम से उस युग के सामाजिक कुरीतियों, राजनीति, प्रेम, संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण करती है। उपन्यास में नायक या नायिका के चरित्र की गहराई और घटनाओं का यथार्थवादी वर्णन पाठक को तत्कालीन समाज के दुख-सुख, आदर्शों और असहमतियों की समझ प्रदान करता है। यह उपन्यास न केवल एक भावनात्मक प्रेम कथा है, बल्कि सामाजिक सुधार और मानवता की जीत का दस्तावेज भी है, जो पाठकों को जीवन की गहराईयों में ले जाता है। आचार्य चतुरसेन की सहज शैली, ऐतिहासिक सटीकता और भावनाओं की प्रबल अभिव्यक्ति इसे हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर बनाती है।