THE DARK EYE OF TECHNOLOGY

· YUVRAJ KULDEEP
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Über dieses E-Book

इस पुस्तक में आप जानेंगे कि, किस प्रकार टेक्नोलॉजी ने हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित किया है| मैं इस कृति में ये बताने का प्रयास नही कर रहा कि, टेक्नोलॉजी पूर्णरूप से मानव जीवन के लिए घातक है। मैं यहाँ बस इतना ही कहूँगा कि, इस कृति को पढ़कर आपका,अधिक प्रभावी,कीमती समय खराब नही होगा, इसमे आपको ज्ञान की झलक, थोड़ा मनोरंजन, थोड़ा पक्ष-थोड़ा विपक्ष और हकीकत से रूबरू होने का मौका मिलेगा...संभव है कि, यह सवाल मन में आए कि, आखिर हिन्दी भाषा में वर्णित पुस्तक का शीर्षक अंग्रेजी में क्यो??? इसके लिए इतना ही कहना चाहूँगा कि, टेक्नोलॉजी के इस दौर में दुनिया एक-दूसरे के बहुत करीब आ गई है| न केवल वेश-भूषा और संस्कृति , बल्कि आनंदात्मक पहलू और भाषाई स्तर पर भी आदान-प्रदान जारी है| इसी बीच सभी भाषाओं के शब्दों का सम्मान एवं स्वागत जरूरी है| हर भाषा को अन्यत्र भाषा का स्वाद चख लेना चाहिए | जो शब्द उपयोगी लगेंगे वो ग्रहण कर लिए जाएंगे और जो उपयोगी नही लगेंगे उनका निष्कासन कर दिया जाएगा | इस पुस्तक में कुछ अंग्रेजी शब्दों को ज्यों का त्यों रखा गया है इसे भाषाई स्वाभिमान का मुद्दा ना बनाया जाए , मेरी समझ में ऐसा करना भाषा को उत्कृष्टता ही प्रदान करेगा | यह किताब है झुके हुए उन मजबूत कंधो के बारे में जो देश और दुनिया की जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु सर्वाधिक आवश्यक है, यह किताब मस्तिष्क के उस प्रतिबिम्ब को उजागर करता है जो सिर्फ पारदर्शिता जानता है|

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Autoren-Profil

युवराज कुलदीप उस बीज का नाम है जो अभी मिट्टी में दबा हुआ है लेकिन अपने अस्तित्व के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है, असफलताएं हाथ लगती है किंतु यह हार नही मानता बल्कि अपने हालातो से लड़कर पुनः प्रयास करता है और अब वह बीज मिट्टी से बाहर आकर इस खूबसूरत जहां में एक स्थाई , मजबूत एवम छायादार वृक्ष बनने की और अग्रसर है..... अब छायादार वृक्ष बनने के बाद भी यात्रा जारी है क्योंकि सफलता के लिए यात्रा असीम है...!!!

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