कौशाम्बी के निकट प्रयाग का कुम्भ मेला प्राचीन राजा हर्षवर्धन ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान मे यहां प्रत्येक छठे वर्ष में अर्धकुम्भ तथा बारहवें वर्ष मे कुम्भ-मेला लगता है। प्राचीन काल में राजा हर्षवर्धन. द्वारा गठित महादान परिषद की सभा प्रत्येक पांचवे वर्ष में माघ मेले के अवसर आयोजित की जाती थी जिसमें विद्वान आचार्य ब्राह्मण, श्रवण व श्रद्धा लगन सम्मिलित होते थे। महिनो तक दान कार्यक्रम चलता था। राजा हर्षवर्धन अपने राज्य की रक्षा से सम्बन्धित सामग्री व धन को छोड़ करके शेष पांच वर्ष का संचित धन को दान में दे देता है। बौद्ध चीनी यात्री हवेनसांग ने राजा हर्षवर्धन को महादानी कहा है।