लेखक की ओर से इस पुस्तक में ‘तात्विक, *पारलौकिक एवं अन्यान्य आयामों के ज्ञान’ एवं विवरण को इसलिए दूर रखने का प्रयास किया गया है, क्योंकि जब आप जैसे सम्माननीय सुधी पाठक इस भाग को आत्मसात कर लेंगे तो अन्य भागों को आत्मसात करने में सुगमता की पूर्णता का समावेश सहज ही हो पाएगा।
‘श्री हनुमान चालीसा’ के अन्य आयाम एवं पहलू इस श्रृंखला के अन्य भागों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित रखे गए हैं ताकि आप बिना किसी संशय के पूर्णता से ग्रहण कर सकें। भाषा को सुमन एवं सर्वग्राह्य रखा गया है। इस भाग की विशेषता यह है कि शास्त्रों के ज्ञान को समायोजित कर आध्यात्मिक स्तर पर पाठक उस ऊँचाई पर पहुँच जाता है, जहाँ वह श्री हनुमान जी एवं श्री राम जी की कृपा का पात्र बन जाता है।
मैं 5 साल की उम्र से भगवान श्री हनुमान का अनन्य भक्त हूँ और मेरा जीवन पूर्णतः राम काज के लिए ही समर्पित है। मेरे जीवन की प्रत्येक घटना और विकासशील परिवर्तन उनकी प्रेरणा और दया का ही परिणाम है।
यह श्रृंखला का लेखन भी प्रभु श्री राम के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में उनकी मेरे ऊपर अहेतुकी कृपा का प्रमाण है। मेरे प्रभु के सबसे प्रिय भक्त की स्तुति के प्रभाव ने ही मेरी लेखनी
को सुगमता से चलाया है। आगे केवल इतना ही कहूँगा कि शेष ईश्वर इच्छा और दया पर ही सब कुछ निर्भर है। आशा है यह पुस्तक आपकी आशा-उम्मीद से भी ज्यादा आपको दैहिक, दैविक और भौतिक रूप से सक्षम बनाने में पूर्णतः सक्षम होगी।