देवदास, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित एक कालजयी उपन्यास है जो भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है। यह प्रेम, वियोग, सामाजिक बंधनों और आत्मविनाश की एक मार्मिक गाथा है। कहानी 20वीं शताब्दी के आरंभिक बंगाल की पृष्ठभूमि पर आधारित है और समाज की कठोरता तथा प्रेम की कोमलता के बीच गहरे द्वंद्व को प्रस्तुत करती है। कहानी का मुख्य पात्र देवदास, एक संभ्रांत परिवार का संवेदनशील युवक है, जिसे बचपन से ही अपनी पड़ोसन पारो (पार्वती) से प्रेम हो जाता है। जब वह उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता जाता है, तो समय, अहंकार और सामाजिक मान्यताएँ उनके प्रेम के बीच दीवार बन जाती हैं। पारो का विवाह एक समृद्ध मगर वृद्ध पुरुष से हो जाता है। आघात और पश्चाताप से ग्रस्त देवदास आत्मविनाश की राह पर बढ़ता है — शराब में डूबता चला जाता है, और अंततः एक वेश्या चंद्रमुखी की करुणामयी ममता में भी खुद को नहीं बचा पाता। देवदास केवल एक प्रेम कहानी नहीं है — यह एक भावनात्मक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से गहराई लिए हुए उपन्यास है जो आज भी पाठकों को उतनी ही तीव्रता से प्रभावित करता है। इसकी गूंज भारतीय संस्कृति, साहित्य और फिल्मजगत में लंबे समय तक बनी रही है।