वह एक ही आश्रय क्या है, जिससे संसार-बंधन का नाश होता है ? धर्मराज युधिष्ठिर के इस प्रश्न पर भीष्मजी का उत्तर - एक ही पुरुषोत्तम देव का हजार नामों से तत्परतापूर्वक कीर्तन-स्तवन । भगवान के सहस्रनाम व उनकी महिमा से ओतप्रोत यह सत्साहित्य सभी दुःखों से छूटने की कुंजी देनेवाला है ।