Sanjay-Dhritrashtra Samvad: Sanjay-Dhritrashtra Samvad: Conversations of Sanjay and Dhritrashtra by Pramod Kumar Agrawal

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भगवद्गीता मानव जाति की धरोहर है; जीवन के सद्निर्माण की पथ-प्रदर्शिका है। श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता का उपाख्यान संजय ने धृतराष्ट्र को सुनाया। उसे सुनकर धृतराष्ट्र ने जगह-जगह पर संशय व्यक्त किए; जिनका समाधान संजय ने अपनी बुद्धि के अनुसार किया; पर धृतराष्ट्र मोह; लोभ एवं अहं से संतृप्त होने के कारण संजय के कथन को पूर्णरूप से ग्रहण नहीं कर सके।
धृतराष्ट्र के समय के परिवेश तथा वर्तमान परिवेश में कई समानताएँ हैं। आजकल के मनुष्य के मन एवं बुद्धि में गीता पढ़ते समय उसी प्रकार के प्रश्न उठते हैं। इस कृति के माध्यम से मनुष्य के उन सभी संभावित प्रश्नों; संशयों को गीता के सूत्रों की पृष्ठभूमि में स्पष्ट किया गया है।
आशा है; यह कृति इस सरलीकृत रूप में गीता के मूल सिद्धांतों को हृदयंगम करने में सहायक होगी।

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