श्री गायकवाड और अत्त-दीपो-भव के साथ-साथ परहित सरस धर्म नहीं भाई के सूक्त पर खरे उतरते हैं । उन्होंने अपने एनजीओ के माध्यम से कई बेसहारा एवं वृद्धो के साथ युवा वर्ग के हितबद्ध कार्य किया है । एक प्रेरणादाई व्यक्तित्व के धनी श्री गायकवाड की जीवन संगिनी श्रीमती सरोज गायकवाड जी ने भी पग पग पर उनका दामन थामकर चला है । पति के मार्ग से कांटों को चुनकर फूलों की राह बनाई है और आज भी जीवन में कई बसंत देखने के बाद वे दोनों नव युगल की भांति अन्य को संबंधों में सामंजस्य, प्रेम, सम्मान व स्नेह की शिक्षा ही दे रहे हैं ।