पाठकों को गुरु दत्त के सिनेमा की अनूठी शैली, उनकी कलात्मक दृष्टि और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी गहराईयों का अनुभव कराने वाली यह कृति, उनके व्यक्तित्व की जटिलताओं को भी उजागर करती है। गुरु दत्त में निर्देशक और अभिनेता दोनों के रूप में उनकी विरासत का विस्तार से विश्लेषण है, जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया।
यह पुस्तक केवल एक जीवनी नहीं, बल्कि गुरु दत्त की कला और जीवन के बीच के अद्भुत संवाद का दस्तावेज़ है। नसीरून मुन्नी कबीर ने अपनी लेखनी के माध्यम से गुरु दत्त के अंदर छिपे उस कलाकार को जीवंत किया है, जिसने सिनेमा को एक नई दिशा दी।
गुरु दत्त उन सभी के लिए है जो भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर और उसकी महान हस्तियों को समझना चाहते हैं। यह पुस्तक एक ऐसे कलाकार की प्रेरक कहानी है, जिसने कला के माध्यम से अपने समय की सामाजिक और मानवीय चुनौतियों को प्रतिबिंबित किया।