दलित करोड़पति में ऐसे 15 लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया है। उनकी कहानियाँ यह दिखाती हैं कि उन्होंने कैसे रोड से करोड़ों तक का सफर तय किया।
ये कहानियाँ हैं—संघर्ष और सफलता की, सीमाओं के बंधन और उनके टूटने की, जाति और पूँजीवाद की। ये हमें उस जातीय भेदभाव के बारे में भी बताती हैं, जो रोजमर्रा के शहरी जीवन में समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों को झेलना पड़ता है। ये उनकी ताकत, साहस और लगन के बारे में बताती हैं, जो सारी रुकावटों के बावजूद ऊपर उठ सके और उन लोगों के लिए एक मिसाल बन गए, जिनमें आगे बढ़ने और सपने देखने का साहस है।
—सुरिंदर जोधका
समाजशास्त्री, जेएनयू