मारवाड़ी राजबाड़ी वैचारिक संक्रमण के दौर से गुज़रते एक परिवार की कथा के साथ-साथ एक सम्भावनाशील मेधावी लड़की की जीवन की चुनौतियों का सामना करने की कहानी है। उसके संवेदना के सौन्दर्य को कथाकार ने सम्पूर्ण अर्थदीप्ति के साथ उजागर किया है।
कुसुम खेमानी
जन्म : 19 सितम्बर 1944
शिक्षा : कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएच.डी. ।
सृजन : सचित्र हिन्दी बालकोश, हिन्दी-अंग्रेज़ी बालकोश, सच कहती कहानियाँ, एक अचम्भा प्रेम, अनुगूँज ज़िन्दगी की, एक शख़्स कहानी-सा, कहानियाँ सुनाती यात्राएँ, कुछ रेत..... कुछ सीपियाँ... विचारों की, कुसुम खेमानी की लोकप्रिय कहानियाँ, लावण्यदेवी, जड़ियाबाई, गाथा रामभतेरी, लालबत्ती की अमृतकन्याएँ (उपन्यास)। लावण्यदेवी बांग्ला भाषा में बांग्लादेश से प्रकाशित। यह उपन्यास बांग्ला के अलावा नेपाली, तमिल, मलयालम, ओड़िया, राजस्थानी एवं मराठी भाषाओं में भी प्रकाशित ।
प्रमुख सम्मान : 'कुसुमांजलि साहित्य सम्मान' (दिल्ली), 'साहित्य भूषण सम्मान' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), 'हरियाणा गौरव सम्मान' (हरियाणा साहित्य अकादमी), 'लावण्यदेवी' उपन्यास के अंग्रेज़ी अनुवाद को पेन अमेरिका लिटररी अवार्ड का विशेष ग्रांट एवं पं. माधवराव सप्रे छत्तीसगढ़-मित्र साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान-2021।