MAZA GAON

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
4.1
20ଟି ସମୀକ୍ଷା
ଇବୁକ୍
304
ପୃଷ୍ଠାଗୁଡ଼ିକ
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ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

This novel presents the village life as in the first half of the twentieth century. The familiar facets of village life like the family feuds,assasinations etc. are certainly tribes of men who charished values more than their own lives and devotedly worked for the good of their villages as a whole. The setting and the characters are rather conventional but the author is successful in creating powerful and convincing characters rendering situation inreal and life and making the reader feel the vintage aroma of the village life of yester years.
`माझा गाव' या माझ्या कादंबरीतील बरीच पात्रं आणि प्रसंग तर माझ्या घरचेच आहेत. कादंबरीतील वाडा हा अप्रत्यक्षपणे आमचाच आहे. जयवंताचं पात्र हे माझ्या प्रत्यक्षातील भावभावनांतून, अनुभवांतून आकाराला आलेलं आहे. इतर पात्रं मी प्रत्यक्ष पाहिलेली आहेत. त्यांचे स्वभाव मी हेरलेले आहेत; त्यांची मांडणी मात्र नव्यानं केली आहे. तिथंच तेवढं कल्पनेचं साहाय्य घेतलं आहे. कादंबरीतील मुख्य पात्र आहे अप्पासाहेब इनामदार. हे पात्र मी वास्तवातूनच उचललं आहे. माझ्या वडिलांवरून ते सुचलं. पण कादंबरीतील त्या पात्राच्या जीवनात घडणा-या घटना माझ्या वडिलांच्या जीवनातील मुळीच नाहीत. त्यांतील काही मी ऐकलेल्या आहेत. काही पाहिलेल्या आहेत. स्वातंत्र्यपूर्व काळातील एक जुनं गाव उभं करावं, असा एक हेतू या कादंबरी-लेखनामागं होता. जुन्या ग्रामरचनेतील माणूस कसा होता, कसा जगत होता, स्वत:ला समाजाशी कसा वाहून घेत होता, हे दाखविण्यासाठी मी ही कादंबरी लिहिली आहे. आज सगळं ग्रामजीवनच बदलत चाललं आहे. समाज बदलतो आहे, संस्कारही बदलत आहेत; पण हरवलेल्या जीवनाची रुखरूख मात्र मनात घर करून होती. ती वाढतच होती. ती रुखरूख हीच या कादंबरी-लेखनामागची मूळ प्रेरणा आहे...

ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ ଓ ସମୀକ୍ଷା

4.1
20ଟି ସମୀକ୍ଷା

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