MARATHITIL BARAMAS KAVYE

MEHTA PUBLISHING HOUSE
ଇବୁକ୍
103
ପୃଷ୍ଠାଗୁଡ଼ିକ
ରେଟିଂ ଓ ସମୀକ୍ଷାଗୁଡ଼ିକୁ ଯାଞ୍ଚ କରାଯାଇନାହିଁ  ଅଧିକ ଜାଣନ୍ତୁ

ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

  ‘‘दिवसामागून दिवस चालले ऋतुमागुनी ऋतू जिवलगा कधी रे येशील तू’’ अशी कविवर्य ग.दि. माडगूळकर यांच्यासारखी रसिक हृदयात विरह वेदनेची कळ उमटविणारी दीर्घ विरह गीते मराठीत फारशी लिहिली गेली नाहीत. स्वतंत्र निसर्ग कविताही प्राचीन कवींनी लिहिलेली दिसत नाहीत. तथापि उत्तर भारतातील पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, बंगाली, भोजपुरी, इत्यादी भाषांतून पती जवळ नसल्याने विरहाने ग्रासलेल्या नायिकेच्या भावना व्यक्त करणारी पदे विपुल प्रमाणात लिहिली गेली आहेत. त्यांना ‘बारामास काव्ये’ असे म्हणतात. हा लोकभाषेतील एक प्रकार आहे. आणि काही ठिकाणी तो समूहरूपातही गायिला जातो. त्या-त्या भाषेत या काव्यांवर अभ्यासपूर्ण समीक्षा ग्रंथ लिहिले गेले आहेत. त्या दृष्टीने मराठीतील अशा विरहगीतांचा शोध धुळ्यापासून तंजावरपर्यंतच्या ग्रंथसंग्रहांतून घेतला असता फार थोडी काव्ये उपलब्ध झाली. तीच प्रस्तुत संग्रहात समाविष्ट केली आहेत. रसिकांपुढे हा अल्पज्ञात काव्यप्रकार ठेवला आहे. हा अभिनव काव्यप्रकार मराठी वाचकांना आवडेल, अशी अपेक्षा आहे.

ଏହି ଇବୁକ୍‍କୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ

ଆପଣ କଣ ଭାବୁଛନ୍ତି ତାହା ଆମକୁ ଜଣାନ୍ତୁ।

ପଢ଼ିବା ପାଇଁ ତଥ୍ୟ

ସ୍ମାର୍ଟଫୋନ ଓ ଟାବଲେଟ
Google Play Books ଆପ୍କୁ, AndroidiPad/iPhone ପାଇଁ ଇନଷ୍ଟଲ୍ କରନ୍ତୁ। ଏହା ସ୍ଵଚାଳିତ ଭାବେ ଆପଣଙ୍କ ଆକାଉଣ୍ଟରେ ସିଙ୍କ ହୋ‍ଇଯିବ ଏବଂ ଆପଣ ଯେଉଁଠି ଥାଆନ୍ତୁ ନା କାହିଁକି ଆନଲାଇନ୍ କିମ୍ବା ଅଫଲାଇନ୍‍ରେ ପଢ଼ିବା ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେବ।
ଲାପଟପ ଓ କମ୍ପ୍ୟୁଟର
ନିଜର କମ୍ପ୍ୟୁଟର୍‍ରେ ଥିବା ୱେବ୍ ବ୍ରାଉଜର୍‍କୁ ବ୍ୟବହାର କରି Google Playରୁ କିଣିଥିବା ଅଡିଓବୁକ୍‍କୁ ଆପଣ ଶୁଣିପାରିବେ।
ଇ-ରିଡର୍ ଓ ଅନ୍ୟ ଡିଭାଇସ୍‍ଗୁଡ଼ିକ
Kobo eReaders ପରି e-ink ଡିଭାଇସଗୁଡ଼ିକରେ ପଢ଼ିବା ପାଇଁ, ଆପଣଙ୍କୁ ଏକ ଫାଇଲ ଡାଉନଲୋଡ କରି ଏହାକୁ ଆପଣଙ୍କ ଡିଭାଇସକୁ ଟ୍ରାନ୍ସଫର କରିବାକୁ ହେବ। ସମର୍ଥିତ eReadersକୁ ଫାଇଲଗୁଡ଼ିକ ଟ୍ରାନ୍ସଫର କରିବା ପାଇଁ ସହାୟତା କେନ୍ଦ୍ରରେ ଥିବା ସବିଶେଷ ନିର୍ଦ୍ଦେଶାବଳୀକୁ ଅନୁସରଣ କରନ୍ତୁ।