<p>भारतीय थलसेना के शीर्ष अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी को उत्तरी कमान के सेना कमांडर के रूप में वर्ष 2020 में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बलपूर्वक यथास्थिति परिवर्तन के प्रयास के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया के नेतृत्व का श्रेय जाता है। वह एकमात्र युद्ध-सम्मानित सेना कमांडर हैं, जिन्हें भारत के दोनों शत्रुओं, चीन और पाकिस्तान पर सफलता पाने का श्रेय प्राप्त है। वह भारतीय सेना की 13वीं बटालियन, जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स में कमीशन हुए। बटालियन को 'ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव' की उपाधि से सम्मानित किया गया<p>वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें युद्धक्षेत्र में ही लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में पदोन्नत कर बटालियन की कमान सौंपी गई। उनकी कमान में बटालियन ने द्रास और मुश्कोह घाटी उप-क्षेत्रों में दो रणनीतिक रूप से अति-महत्त्वपूर्ण पर्वत-शिखरों पर कब्जा किया।<p> युद्ध में असाधारण प्रदर्शन के लिए 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स को कुल सैंतीस वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें दो 'परमवीर चक्र', आठ 'वीर चक्र' और चौदह 'सेना पदक' प्रमुख हैं। बटालियन को 'चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ' प्रशस्ति-पत्र से भी सम्मानित किया गया तथा 'ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव' की उपाधि से सम्मानित किया गया।<p> लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी की असाधारण नेतृत्व क्षमता, पराक्रम और साहस की स्पष्ट, विचारोत्तेजक और भावनात्मक संस्मरणात्मक पुस्तक।<p>