GOSHTICH GOSHTI

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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जादू-बिदू काही नसते;  सगळी बनवाबनवी असते, हे दाखविण्यासाठी बाबू बनला भोकरवाडीतील ‘जादूगार’! हॉटेलमध्ये चोरी झाल्याची ‘कम्प्लेंट’ बजाबाने दिली,  मात्र चोरी झालीच नाही,  असेही लिहून दिले भोकरवाडीतील ‘गावगुंडी’ला कंटाळून नव्या शिक्षिकेने गावच सोडले! रामाच्या वाट्याला आलेला ‘वनवास’  बाबू आणि चेंगट्याच्या वाट्यालाही आला! सरकारने वटहुकूम काढून ‘भ्रष्टाचार’ कायदेशीर ठरवला, पण बाळू सरकारी नोकर असल्यामुळे त्याचे काम दुप्पट झाले!  बापू पाटल्याच्या मुलाचा दत्तक-विधी तर झाला, पण बाबू आणि चेंगटाने घोटाळा केला! चौथीच्या गणिताच्या मारकुट्या मास्तरांचा ‘तास’ एकदा दगडू गवळीने घेतला! शिवा जमदाडे, रामा खरात, गणामास्तर, नाना चेंगट आणि बाबू पैलवान ही सर्व ‘कंपनी’ ट्रिपला निघाली! ‘गोष्टी’ म्हणजे गमती... उपहास... उपदेश... आणि बोचरी टीका अन् व्यथाही... हेच आहे ‘गोष्टीच गोष्टी’चं सूत्र!

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