GEELI PAGDANDI

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ఈ ఇ-పుస్తకం గురించి

बारिश भला किसे पसंद नहीं! वो बादलों का घिरना, वो टिप-टिप बूँदों का बरसना, वो समंदर में लहरों का उफान, वो नदियों में पानी का मचलना, पौधों की पत्तियों का वो बूँदों के भार से झुक जाना और फिर एक 'टिप' की आवाज के साथ उस भारीपन को छोड़ देना, ये सब कितना लुभावना है। ये सचमुच मौसम का जादू ही तो है, कि पानी से सने फूल जाने क्यों पहले से ज़्यादा ख़ूबसूरत नज़र आने लगते हैं, पेड़ों की पत्तियाँ जाने क्यों और भी गहरे रंग में दिखने लगती हैं। शायद बारिश का मौसम इसलिए भी हसीन होता है, कि मन में ख़ूबसूरत ख़याल इस दरमियाँ ज़्यादा पनपते हैं, कि मानसूनी हवायें हमारे ज़ेहन को और भी ज़्यादा झकझोड़ती हैं। तो इसी सिलसिले में हमने भी चुने हैं कुछ ऐसे ही मन को छू जाने वाले ख़याल जो आठ हुनरमंद लोगों के दिलों में पनपे थे। हमने देखा हैं उन्हें, हमने परखा है उन्हें, वो सचमुच बहुत ही ख़ूबसूरत हैं। उनके उन ख़यालों को पनपने से लेकर इन पन्नों तक समेटने में हमने एक लंबा सफर तय किया है, बहुत संभलकर, कि जैसे कोई गीली पगडंडी में चलता है, संभल-संभल कर। तो पढ़िए इन्हे और खो जाइए बारिश के महीने में अच्छे ख़यालों के साथ।

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రచయిత పరిచయం

आमिर शेख़ उर्दू, हिंदी के अच्छे और गहरी सोच रखने वाले शायर हैं। उनकी पैदाइश 13 मार्च, 1994 नोएडा, उत्तर प्रदेश में हुई। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई और उर्दू का इल्म घर में ही हासिल किया है और बाद में यूपी बोर्ड से पढ़ाई करते हुए, हाई स्कूल मुक्कमल की है और फिर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने प्लंबिंग में डिप्लोमा भी हासिल किया है। अभी आमिर एक बिज़नेसमैन है और साथ में एक लेखक के तौर पर लिखते भी हैं, उन्हें लिखने का शौक़ बहुत ही कम उम्र से था। 


आप शशि किरण ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की निवासी हैं। आपने अपनी स्नातक की शिक्षा जिला कुल्लू से प्राप्त की, तदुपरांत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से M.Sc. (Zoology), M Phill (Cytogenetics) और B.Ed. की उपाधियाँ प्राप्त की।

 

आपने कुछ समय तक अध्यापन कार्य में योगदान देने के बाद प्रकृति और पर्यावरण की तरफ विशेष झुकाव होने के कारण, वन विभाग की ओर रुख किया। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश वन सेवा में कार्यरत हैं।


नवोदित प्रतिभावान लेखक श्री अभिनव सिंह मूलतः सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। आप गृह प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत हैं।


कविता सृजन के प्रति आकर्षण बाल्यकाल से ही रहा जिसका महत्वपूर्ण कारक परिवार का साहित्यिक माहौल भी हैं। आपको अपने दादा जी की रचनाओं से प्रेरणा मिली। आप गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में सहभागिता प्रदान करते हैं जिसमें पद्य विधा अधिक मुखर प्रतीत होती है। आपकी रचनाओं में हिन्दी और उर्दू का सुंदर मिश्रण मिलता है।


बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अविनाश प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश प्रान्त के बस्ती जिले के बबुरी बाबू ग्राम के निवासी हैं। वर्तमान में आप बस्ती जिले के ही बभनान कस्बे में निवासरत हैं। अपनी स्कूली शिक्षा कस्बे से ही संपन्न करने के पश्चात उच्च शिक्षा के लिए आप बाबासाहेब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ से परास्नातक की उपाधि और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा से एम. फिल. की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात आपने असम विश्वविद्यालय, सिलचर से शोध कार्य में संलग्न हैं।


SK उर्फ संदीप काठ का जन्म 13 दिसम्बर, 1989 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल काठा गाँव में स्व. श्री रघुनाथ सिंह काठ (दादा जी) के परिवार में हुआ।प्रारम्भ में इन्होंने हरयाणवी में कविता लिखनी शुरू की। ये कविताएँ अब तक को अकेलापन दूर करने के लिये ही थी। फिर मित्रों के कहने पर इन्होंने हरयाणवी गीत लिखना शुरू किया। परन्तु आरम्भ में कोई भी इन गानों को रिलीज नहीं कर रहा था। धीरे-धीरे इस क्षेत्र का ज्ञान अर्जित किया और प्रयासों के बाद इनका पहला गीत "यार हथियार" Voice of Music Company ने रिलीज किया। इसके बाद एक के बाद एक छह गाने रिलीज हुए। जिसके कारण इन्हें कविताएँ लिखने की प्रेरणा मिली और लेखन का सफर शुरू कर दिया। नौकरी के साथ-साथ ignou से इतिहास से स्नातक तथा फिर स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।

 

आप सुनीता सिंह 'उषा' मूल रूप से बिहार राज्य के सारण जिले के सोनपुर, बाजीतपुर ग्राम की निवासी हैं और वर्तमान समय में आसनसोल, पश्चिम बंगाल में निवास करती हैं। आपने अपनी स्कूली शिक्षा बाजीतपुर, सारण से पूर्ण की। वर्तमान समय में आप एक गृहणी हैं।


लेखन में आपकी रूचि बाल्यकाल से ही थी। आप अपने भावों को शब्द रूप देकर काव्य रचना करती थीं, परंतु उचित रूप से साहित्यक वातावरण के अभाव में तत्कालीन समय में काव्य सृजन के बीज अंकुरित होकर मात्र रह गए और पल्लवित पुष्पित नहीं हो पाए। गत 2 वर्षों से आपके भीतर साहित्य सृजन की भावना जागृत हुई है और आप सतत् रूप से लेखन में सक्रिय हैं। वर्तमान समय में विभिन्न समाजिक पटलों पर अपनी लेखन सक्रिय रूप से चला रही हैं।

विनिमा मिल्का लाज़रस जिला छिन्दवाडा मध्यप्रदेश राज्य से हैं। इनका जन्म 30 अक्टूबर, 1996 को छिंदवाड़ा में हुआ। इन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा छिंदवाड़ा से पूरी की। इन्होंने भोपाल से बी.एस.सी. ऐग्रिकल्चर किया है और अब सागर से मास्टर ऑफ होटिक्लचर कर रही हैं। इनका व्यक्तित्व ख़ुश रहना और दूसरों को ख़ुश रखना है। यह मसीह धर्म को मानती हैयह लेखिका, चित्रकार, फैशन डिजा़इनिग, टैटू बनाने आदि का शौक रखती हैं एवं इंस्टाग्राम पर इनका पेज है, जिस पर सुविचार, फोटो शेयर करना पसंद करती हैं। मूल रूप से वह प्यार को शब्दों में पिरोती हैं और आपको उन लोगों और क्षणों से जुड़ने में मदद करती हैं, जो आपकी ज़िन्दगी में मायने रखते हैं। ं।



आपका जन्म 9 अप्रैल, 2006 में नई दिल्ली में हुआ। अभी आप 15 वर्ष की हैं और दसवीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। लिखना तब प्रारम्भ किया जब आप दूसरी कक्षा में थी, लिखने की प्रेरणा आपको आपके पिता से मिली। कोई नया शौक नहीं परंपरागत था। लेखन के अतिरिक्त इनको किताबे पढ़ने का, नई चीजें खोजने का और मंचों पर संचालन और कविता पाठन में रुचि है। यह नई भाषाओं को जानना पसन्द करती हैं, पर हमारी मातृभाषा हिंदी सदा इनके हृदयपटल पर राज करने वाली है। मानक हिंदी में लिखने का प्रयत्न करती है, जिस से भावी पीढ़ी अपनी भाषा को जाने। लिखने के लिए इन्हें हमेशा से सबने प्रेरित किया है।

संगीता पाटीदार ‘धुन’, भोपाल (म० प्र०) से हैं। इन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय सीहोर और होशंगाबाद से प्राप्त की। उसके पश्चात् उन्होंने M.COM, MSW और MBA की उपाधियाँ प्राप्त की। उनके विनम्र मूल ने उन्हें जीवन के अनुभवों के बारे में बहुत कुछ सिखाया, जो उन्होंने कविता के रूप में व्यक्त करना शुरू किया। कविता के लिए यह जुनून ‘एहसास ... दिल से दिल की बात’ और ‘ढाई आखर... अधूरा होकर भी पूरा’, कविता-संग्रह के रूप में प्रकाशित हुआ। वह ‘42 डेज़... धुँधले ख़्वाब से तुम..भीगी आँख सी मैं’ और ‘अ ज्वेल इन द लोटस... कहानी 42 दिनों की’, प्रकाशित हिंदी उपन्यास की सह-लेखिका भी हैं। उन्होंने कई हिंदी पुस्तकों के संपादन कार्य में विशेष योगदान दिया है।

उन्होंने लेखक/लेखिकाओं की लेखन कार्य में सहायता और अपना मुक़ाम हासिल करवाने के लिए, हाल ही में अन्थोलॉजी (हिंदी कविता संग्रह), ‘कुछ बातें- अनकही सी.. अनसुनी सी’, ‘मुक़ाम- तेरे-मेरे ख़्वाबों का’, ‘लम्हे- कुछ ठहरे हुए से’, ‘क़लम-फ़नकार नवोदय के’, ‘अल्फ़ाज़-शब्दों का पिटारा’, ‘दरमियाँ… तेरे-मेरे’, ‘हौसला- कुछ कर गुज़रने का’ और ‘छत्तीसगढ़ी भाषा एवं साहित्य में युगीन चेतना का विकास’, संकलित कर उन्हें प्रकाशित करवाने में सहायता की है। जिसमें अलग-अलग रचनाकारों ने सह-रचनाकार के रूप में अपना योगदान दिया है।



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