यद्यपि इसका कथानक, हज़ारों वर्षों के दौरान कई अंशों में रचा गया - पहले हरिवंश में और फिर भागवत पुराण और अंतत: विविध प्रांतीय भाषाओं में संत-कवियों के प्रेममयी गीतों ने इसे इसका रूप प्रदान किया।यह पुस्तक कृष्ण के जन्म से ले कर उनकी मृत्यु तक का ताना-बाना बुनती है, जिसमें उनके प्रसन्नचित्त स्त्रियों और माखन से ओत-प्रोत जीवन में अवतरण से ले कर, क्रोधित पुरुषों से रक्त रंजित जगत में आरोहण शामिल है।
देवदत्त पटनयायक आधुनिक युग में पौराणिकता की प्रासंगिकता पर लिखते हैं, चित्रांकन करते हैं व व्याख्यान देते हैं। वे 1996 से अब तक 30 से अधिक पुस्तकें व 600 से अधिक स्तंभ लिख चुके हैं कि किस प्रकार कहानियाँ, प्रतीक व अनुष्ठान संसार भर में प्राचीन व आधुनिक संस्कृतियों के मिथक रचते हैं। उनकी लिखी प्रमुख पुस्तकों में शामिल हैं: द बुक ऑफ़ राम, जय: एन इलस्ट्रेटिड रीटेलिंग ऑफ़ महाभारत, द गर्ल हू चोज़ और देवलोक विद देवदत्त पटनायक श्रंखला। वे विभिन्न संस्थाओं को नेतृत्व व प्रशासन से जुड़े परामर्श देते हैं। इसके अतिरिक्त वे टी.वी. चैनलों पर पौराणिक धारावाहिकों से भी जुडे़ हैं। उनके टी.वी. कार्यक्रमों में सीएनबीसी-टीवी 18 पर बिज़नेस सूत्र व एपिक टी.वी. पर देवलोक शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए www.devdutt.com पर संपर्क करें।