Challenging Destiny:Biography - Chatrapati Shivaji (Marathi)

· Manjul Publishing
3.9
40ଟି ସମୀକ୍ଷା
ଇବୁକ୍
306
ପୃଷ୍ଠାଗୁଡ଼ିକ
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ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

 झुंज नियतीशी ते आणि त्यांचे ध्येय यांच्यामध्ये 
'आव्हान' म्हणून जेव्हा नियती उभी राहिली तेव्हा..

१७व्या शतकात भारतीय उपखंडात जणू अंधकारांचं साम्राज्य होंत.. क्रूर लढाया, अमानुष अत्याचार आणि धर्माच्या नावाखाली होणार संस्कृतीचा आणि अध्यात्माचा ऱ्हास यामुळे स्वाभिमान लयाला गेला होता, पण छत्रपती शिवाजी ह्या दृष्टाच्या लढवय्यांन हाच हरवलेला स्वाभिमान नव्यानं संपादित केला. आर्थिक समतेची आणि दुर्बलांच्या सक्षमीकरणाची मुहूर्तमेढ रोवली, नियतीनं छत्रपती शिवाजीची सत्वपरीक्षा पदोपदी घेतली. एकीकडे पराभूत झालेला, खचलेला बहुजन समाज; तर दुसरीकडे मुघलांचं शक्तिशाली साम्राज्य आणि त्यात पाश्चात्य शक्तींनी नौदलावर मिळवलेले सर्वाधिक अशा सर्व अंगांनी शिवाजी महाराजांपुढे आव्हानं आ वासून उभी होती, मग युगानुयुगे सर्वांत प्राचीन संस्कृतीचा वारसा लाभलेल्या भारतात परस्पर विरोधी विचारधारांचा, श्रद्धांचा आणि विभिन्न दृष्टिकोणाचा जणू संघर्षच पेटला. चला तर मग, या संघर्षमय गडद अंधारात लख्ख चकाकणाऱ्यां त्या विद्युल्लतेचा अनुभव घेऊ. आजही ती भारतीय उपखंडाला प्रकाशमान करत आहे.. तिचे प्रतिध्वनी इथल्या कानाकोपऱ्यांत आजही निनादताहेत! 

ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ ଓ ସମୀକ୍ଷା

3.9
40ଟି ସମୀକ୍ଷା

ଲେଖକଙ୍କ ବିଷୟରେ

 श्रीमती मेधा देशमुख-भास्करन जेव्हा त्यांची ऐतिहासिक कादंबरी लिहीत होत्या, तेव्हाच त्यांच्या मनात मोगल-मराठा इतिहासाविषयी ओढ निर्माण झाली. कारण या त्रिधारेच्या 'Frontiers of Karma - the Counterstroke' या पहिल्या खंडाळा शिवाजी महाराज आणि औरंगज़ेब हयांच्यामध्ये झालेल्या युद्धाची पार्श्वभूमी होती. हा भाग ऑगस्ट २०१६ मध्ये प्रकाशित झाला. या त्रिधारेतला 'The Stratagem' हा दुसरा खंड लवकरच प्रकाशित होईल. श्रीमती भास्करन या व्यवसायानं सूक्ष्मजीवशास्त्रज्ञ आहेत. त्यांनी भारत, युरोप आणि मध्य-पूर्वेच्या देशांमध्ये औषध उत्पादन क्षेत्रामध्ये मोठ्या प्रमाणावर काम केलेलं आहे. दुबईच्या 'खलीज टाइम्स' मध्ये त्या अनेक वर्षां आरोग्यविषयक स्तंभलेखन करत होत्या. भारतात परतल्यावर आता त्या पूर्ण वेळ लेखनात व्यग्र असतात.

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