शिवाजीमहाराजांच्या हस्ताक्षराने मास्तर व बाबांकडून खिंडीत सापडलेला मोरेश्वर... जगबुडीचा प्रलय आला; पण तो गावापर्यंत पोहोचलाच नाही... भुतालाही न घाबरणारे बाबा – चक्क उंदराला घाबरले... दगडू व बाबूचा फोटो तर काढला, पण त्यांची छबी त्यात उमटलीच नाही... ‘स्वभाव’ तो कोणाचाही असो, पण मग तो शेजारणीचा असेल तर... जागेवर न जाता केला जाणारा पोलीस-तपास होता कसा... घराला रंग दिला; पण तो पेंटरने नव्हे?... शेतातून नवा रस्ता जाऊ नये म्हणून एकनाथला करावी लागलेली तडजोड...ढग कसे तयार होतात?... ग्रहण म्हणजे काय?... या सोप्या प्रश्नांची उत्तरं ‘बाबांच्या अभ्यास’मध्ये मिळाली...
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