भारत में सुविधाजीवी पत्रकारों की कमी नहीं है, जो युद्ध में विष.बाणों और ब्रह्मास्त्रों के बीच कभी नहीं जाते और न ही कोई ख़तरा उठाने की जुर्रत करते हैं। गणेशशंकर विद्यार्थी इसका अपवाद थे। प्रस्तुत पुस्तक अंतर्वेद प्रवरः गणेशशंकर विद्यार्थी आधुनिक भारत के इस पत्रकार.श्रेष्ठ गणेश शंकर विद्यार्थी को एक ऐसे अमर शहीद योद्धा के नज़रिये से देखती है, जिन्होंने हिन्दुस्तान में संगठित राष्ट्रवाद का बीज बोया था। इसके लिए उनके आसपास यथा कर्मभूमि और विशेषकर उनके पैतृक परिवेश से उनके सरोकारों का लेखा.जोखा इस पुस्तक में संग्रहित किया गया है। इसके लेखक अमित राजपूत का विद्यार्थी जी के ही पैतृक जनपद फ़तेहपुर के निवासी होने के कारण उनकेअमिट तादात्म्य और विशेष रुचि व समझ ने पुस्तक को सारगर्भित बनाया है। इस बाबत तमाम क़िस्सों के साथ अमित राजपूत ने कई रोचक राजनीतिक व ग़ैर.राजनीतिक बारीक़ियों और रहस्यों को इस पुस्तक में लाकर विशेष स्थान दिया है। इन्होंने पहली बार इस पुस्तक में गणेशशंकर विद्यार्थी को अंतर्वेद प्रवर कहकर पुकारा है और इसके मायने गढ़े हैं।