‘कमल कीचड़ में ही खिलते हैं;’ यह उक्ति पं. दीनदयाल उपाध्याय पर ठीक बैठती है। निर्धनता में जन्म लेकर राष्ट्रचिंतक के शीर्ष पद पर सुशोभित होकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया। बाल्यकाल से ही दीनदयालजी कुशाग्र बुद्धि और अध्ययनशील प्रवृत्ति के रहे। दीनदयालजी जैसी कुशाग्रता; बौद्धिकता; कर्मठता; सहृदयता और अनुशासनप्रियता का बेजोड़ समुच्चय किसी में नहीं था। इसके चलते वे सभी के प्रिय प्रचारक बन चुके थे। इन्हीं विशेषताओं को देखकर एक बार परम पूजनीय श्रीगुरुजी ने उनकी सराहना करते हुए कहा था; ‘‘दिल को गरम तथा दिमाग को ठंडा रखने की कला केवल दीनदयाल को ही ज्ञात है। वे इसमें पूर्णतः निपुण हैं। दिल की गरमी ऊपर चढ़कर उनके दिमाग का संतुलन नहीं बिगाड़ सकती तथा दिमाग की ठंडक में नीचे आकर उनके दिल की गरमी को ठंडा करने की सामर्थ्य नहीं है।’’
दीनदयालजी जिस क्षेत्र में गए; वहाँ समर्पण भाव से कार्य किया और अभूतपूर्व सफलता पाई। पत्रकारिता में उन्होंने ज्वलंत लेख लिखकर ख्याति प्राप्त की।
चिंतक; मनीषी; कुशल राजनीतिज्ञ; अद्वितीय संगठनकर्ता एवं राष्ट्रचेता पं. दीनदयालजी की संपूर्ण जीवनकथा; जो हर चिंतनशील भारतीय के मनमस्तिष्क को राष्ट्रवाद के भाव से ओतप्रोत कर देगी।Main Deendayal Upadhyay Bol Raha Hoon by AMARJEET SINGH: "Main Deendayal Upadhyay Bol Raha Hoon" is likely a book in which the author shares insights or perspectives related to the philosopher and political thinker Deendayal Upadhyay.
Key Aspects of the Book "Main Deendayal Upadhyay Bol Raha Hoon":
Philosophical Insights: The book may delve into Deendayal Upadhyay's philosophy, beliefs, and contributions.
Political Ideals: It might discuss Upadhyay's influence on political thought and his vision for India.
Social and Cultural Commentary: "Main Deendayal Upadhyay Bol Raha Hoon" could offer reflections on the impact of Upadhyay's ideas on society and culture.
The author, AMARJEET SINGH, may be an admirer or scholar of Deendayal Upadhyay, aiming to shed light on his teachings and legacy.