आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है "कविता मनुष्य के हृदय को उन्नत करती है और ऐसे-ऐसे उत्कृष्ट और अलौकिक पदार्थों का परिचय कराती है , जिनके द्वारा यह लोक देवलोक और मनुष्य देवता हो सकता है " मेरे विचार में मनुष्य सदैव दो स्थितियों में एक साथ रहता है , एक बाझ जगत में दूसरा अंतर्जगत में | अंतर्मन की अनुभूतियों का चित्रण ही कविता है । काव्य आंतरिक प्रस्फुटन को दर्शाता है । प्रस्तुत ई बुक में वैविध्य पूर्ण रचनाएँ समाहित हैं यदि यह संकलन पाठकों के व्यस्त जीवन में तनिक संवेदना को भी जागृत कर पाए तो मैं इस संकलन को सफल मानूँगी ।
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