मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज के दर्पण को प्रस्तुत किया। 'निर्मला' उनका एक ऐसा उपन्यास है, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। यह उपन्यास दहेज प्रथा और अनमेल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार करता है।
'निर्मला' की कहानी एक 15 वर्षीय सुंदर और सुशील लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका नाम निर्मला है। निर्मला का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता है, जिसके पहले से तीन बेटे हैं। निर्मला का चरित्र निर्मल है, फिर भी समाज में उसे अनादर और अवहेलना का शिकार होना पड़ता है।
निर्मला के पति उससे बहुत छोटे हैं और उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। निर्मला को अपने सौतेले बेटों और पति के तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। वह अपने जीवन में अकेलेपन और निराशा से घिरी रहती है।
मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 - 8 अक्टूबर 1936) की जीवनी एक ऐसे महान भारतीय लेखक की संक्षिप्त जीवन गाथा है जो अपनी आधुनिक हिन्दी-उर्दू साहित्य की रचनाओं के लिये प्रख्यात हैं। वे भारतीय उपमहाद्वीप के सर्वाधिक प्रसिद्ध लेखक थे और बीसवीं सदी के पूर्वाह्न केे भारतीय लेखकों में सर्वाधिक अग्रणी लेखकों में से एक माने जाते हैं। वे एक ऐसे उपन्यासकार, कथाकार एवं नाटककार थे जिन्हें साहित्यविदों द्वारा ‘उपन्यास सम्राट’ के नाम से संबोधित किया जाता है। उनकी रचनाओं में एक दर्जन से अधिक उपन्यास, प्रायः 300 लघु कथाएं, अनेक निबंध और विदेशी साहित्यिक रचनाओं के कई अनुवाद भी शामिल हैं। पुस्तक में इस महान रचनाकार के जीवन का एक दीप्तिमान वर्णन है कि कैसे एक साधारण-सा व्यक्ति, जो निर्धन पैदा हुआ और निर्धन ही मृत्यु को प्राप्त हुआ, अपनी असाधारण लेखनी द्वारा भारतीय साहित्य को अत्यंत समृद्ध बना गया। यदि उन्हें आधुनिक भारत का स कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।.